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Showing posts from 2014

नवरात्र का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रहस्य

नवरात्र शब्द से नव अहोरात्रों (विशेष रात्रियां) का बोध होता है। इस समय शक्ति के नव रूपों की उपासना की जाती है। 'रात्रि' शब्द सिद्धि का प्रतीक है। भारत के प्राचीन ऋषियों-मुनियों ने रात्रि को दिन की अपेक्षा अधिक महत्व दिया है, इसलिए दीपावली, होलिका, शिवरात्रि और नवरात्र आदि उत्सवों को रात में ही मनाने की परंपरा है। यदि रात्रि का कोई विशेष रहस्य न होता, तो ऐसे उत्सवों को रात्रि न कह कर दिन ही कहा जाता। लेकिन नवरात्र के दिन, नवदिन नहीं कहे जाते। मनीषियों ने वर्ष में दो बार नवरात्रों का विधान बनाया है। विक्रम संवत के पहले दिन अर्थात चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (पहली तिथि) से नौ दिन अर्थात नवमी तक। और इसी प्रकार ठीक छह मास बाद आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी अर्थात विजयादशमी के एक दिन पूर्व तक। परंतु सिद्धि और साधना की दृष्टि से शारदीय नवरात्रों को ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है।इन नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति संचय करने के लिए अनेक प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग साधना आदि करते हैं। कुछ साधक इन रात्रियों में पूरी रा

श्रावण मास और रमजान

1. श्रावण मास शिव जी को समर्पित है और इस पवित्र माह में पार्वती जी भगवान शंकर जी से राम जी के जीवन चरित्र को सुनती (श्रवण) करती हैं | 2. इसी राम कथा के सुनने और सुनाने (श्रावण) की परिपाटी में इस पवित्र माह को"श्रावण"कहा गया है | और विश्व भर के हिन्दू इस माह में सत्य नारायण की कथा और राम चरित मानस का पाठ करते हैं | 3. वास्तव में गोस्वामी जी विरचित श्री राम चरित मानस में मास परायण का विश्राम भी इसलिए ही होता है | और इस दिव्य पुस्तक का नाम भी मानस इसलिए है की अपने मानस में बसे राम के चरित्र को शंकर जी माता पार्वती को सुना रहे है | उदहारण : चौपाई में बहुत से स्थानों पर पार्वती का संबोधन जैसे "उमा राम सुभाऊ जेहि जाना", "उमा जे राम चरन रत बिगत काम मद क्रोध", "उमा राम की भृकुटि विलासा", "उमा न कछु कपि कै अधिकाई" अदि अदि 4. आप सभी पाठकों से निवेदन है की सावन के इस पवित्र माह में आप भी राम जी के जीवन को पढ़ें और जानें किसी भी भाषा में | इन्टरनेट पर भी आप को राम चरित मानस मिल जाएगा | 5. आप अपने मोबाइल के एंड्राइड ऐप और एप्पल पर भी कितने एप्लीकेशन

Ramanathapuram district, 527 km south of Chennai

Ramanathapuram district, 527 km south of Chennai, which houses Rameswaram Temple and many holy shrines, is getting out of bound for outsiders. Local Jamaath Councils have issued ‘fatwas’ declaring Muslim-majority villages out of bound for people even from the district itself. Entrances to Athiyuthu, Puthuvalassai, Panaikulam, Azhagankulam and Sitharkottai sport such boards, all put up by the local Jamaath Councils. “There are boards deep inside these villages which declare outsiders are not allowed,” said B Arumugam, who acted as a guide to this correspondent. Interestingly, all these villages have a strong Muslim population. “Advertising (banners, posters and pamphlets) and honking (from vehicles) without permission is prohibited inside the Panchayath. By Order - Muslim Jamaath Thajul Islam Sangh, Pottakavayal”, is the board which welcomes the visitor to the village entrance on the Attrankarai Road, hardly 10 kilometre from Ramanathapuram town. “For the last 20

9 महीने 9 दिन गर्भ मे बच्चा क्यो रहता है क्या है बच्चे को महान बनाने का वैज्ञानिक उपाय ?

लोग ज्योतिष पर बहुत कम विश्वास करते है क्योकि ज्योतिषियों ने ही ज्योतिष का विनाश किया है  उनके अधूरे ज्ञान के कारण ऐसा हुआ है | गर्भ मे बच्चा 9 महीने और 9 दिन ही क्यो रहता है | इसका एक वैज्ञानिक आधार है हमारे ब्रह्मांड के 9 ग्रह अपनी अपनी किरणों से गर्भ मे पल रहे बच्चे को विकसित करते है | हर ग्रह अपने स्वभाव के अनुरूप बच्चे के शरीर के भागो को विकसित करता है | अगर कोई ग्रह गर्भ मे पल रहे बच्चे के समय कमजोर है तो उपाय से उसको ठीक किया जा सकता है | 1. गर्भ से 1 महीने तक शुक्र का प्रभाव रहता है अगर गर्भावस्था के समय शुक्र कमजोर है तो शुक्र को मजबूत करना चाहिए | अगर शुक्र मजबूत होगा तो बच्चा बहुत सुंदर होगा । और उस समय स्त्री को चटपटी चीजे खानी चाहिए शुक्र का दान न करे अगर दान किया तो शुक्र कमजोर हो जाएगा | कुछ अनाड़ी ज्योतिषी अधूरे ज्ञान के कारण शुक्र का दान करा देते है | दान सिर्फ उसी ग्रह का करे जो पापी और क्रूर हो और उसके कारण गर्भपात का खतरा हो | 2. दूसरे महीने मंगल का प्रभाव रहता है | मीठा खा कर मंगल को मजबूत करे तथा लाल वस्त्र ज्यादा धारण करे | 3. तीसरे महीने गुरु का प्र

भारत का गौरव - लौह स्तंभ

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जिसको देखकर दुनिया के लोगो की आँखों में आश्चर्य ऐसे आता है , अगर आपको गौरव या आश्चर्य ना हो तो समझ जाना की आप मानसिक गुलाम है - ये वह लौह स्तंभ है - जिस पर हजारों सालों से जंग नही लगी है - दुनिया के अति-विकसित देशों ने खरबों रूपयों की रीसर्च के बाद भी ऐसा लोहा नहीं बना पायें है........... लौह स्तंभ दिल्ली में क़ुतुब मीनार के निकट स्थित एक विशाल स्तम्भ है। यह अपने आप में प्राचीन भारतीय धातुकर्म की पराकाष्ठा है। यह कथित रूप से राजा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (राज 375 - 413) से निर्माण कराया गया, किंतु कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पहले निर्माण किया गया, संभवतः 912 ईपू में। स्तंभ की उँचाई लगभग सात मीटर है और पहले हिंदू व जैन मंदिर का एक हिस्सा था। तेरहवीं सदी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने मंदिर को नष्ट करके क़ुतुब मीनार की स्थापना की। लौह-स्तम्भ में लोहे की मात्रा करीब 98% है और अभी तक जंग नहीं लगा है। लगभग 16000 से अधिक वर्षों से यह खुले आसमान के नीचे सदियों से सभी मौसमों में अविचल खड़ा है। इतने वर्षों में आज तक उसमें जंग नहीं लगी, यह बात दुनिया के लिए आश्चर्य का विषय है। जहां

क्या है जनेऊ (यज्ञोपवीत) का वैज्ञानिक रहस्य ?

जनेऊ को लेकर लोगों में कई भ्रांति मौजूद है | लोग जनेऊ को धर्म से जोड़ दिए हैं जबकि सच तो कुछ और ही है| तो आइए जानें कि सच क्या है ? जनेऊ पहनने से आदमी को लकवा से सुरक्षा मिल जाती है| क्योंकि आदमी को बताया गया है कि जनेऊ धारण करने वाले को लघुशंका करते समय दाँत पर दाँत बैठा कर रहना चाहिए अन्यथा अधर्म होता है | दरअसल इसके पीछे साइंस का गहरा रह्स्य छिपा है| दाँत पर दाँत बैठा कर रहने से आदमी को लकवा नहीं मारता| आदमी को दो जनेऊ धारण कराया जाता है, एक पुरुष को बताता है कि उसे दो लोगों का भार या ज़िम्मेदारी वहन करना है, एक पत्नी पक्ष का और दूसरा अपने पक्ष का अर्थात् पति पक्ष का | अब एक एक जनेऊ में 9 - 9 धागे होते हैं| जो हमें बताते हैं कि हम पर पत्नी और पत्नी पक्ष के 9 - 9 ग्रहों का भार ये ऋण है उसे वहन करना है| अब इन 9 - 9 धांगों के अंदर से 1 - 1 धागे निकालकर देंखें तो इसमें 27 - 27 धागे होते हैं| अर्थात् हमें पत्नी और पति पक्ष के 27 - 27 नक्षत्रों का भी भार या ऋण वहन करना है| अब अगर अंक विद्या के आधार पर देंखे तो 27+9 = 36 होता है, जिसको एकल अंक बनाने पर 36 = 3+6 = 9 आता है, ज

Modern Inventions Stolen from Vedas

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Pronouncing of most sacred sound ‘OM’ is known to world by Sanskrit. Earth is only a medium to achieve rightful place for each pious human being (soul) on higher planets made only for such beings. But earthly people engage themselves in materialistic pleasures and to get these – they resort to deceit, cheat, money, power, lies and theft. Modern scientists are great examples of these traits in this material world. Why Did All The Discoveries Happened in 19th Century The main reason why Scientists though secretly follow Christianity in personal lives, publicly remain atheist so that they can negate Vedic teachings with full force. As if atheist get this authority by default. When it comes to knowledge of the universe we live in, modern scientists are often described as “experts” in the same way a blind man will describe a man with fuzzy vision as expert in seeing. These scientists with just 1% of that contextual Vedic knowledge tried to make inventions by thrusting

महाराणा प्रताप

1.महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोडा समेत दुश्मन सैनिको को काट डालते थे | 2.जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने अपनी माँ से पूछाकी हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर अाए | तब माँ का जवाब मिला ” उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्टी धूल लेकरआना जहा का राजा अपने प्रजा के प्रति इतना वफ़ा दार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले आपनी मातृभूमि को चुना ” बद किस्मत से उनका वो दौरा रदद्ध हो गया था | “बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ‘ किताब में आप ये बात पढ़ सकते है | 3.महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो था और कवच का वजन 80 किलो कवच ,भाला, ढाल,और हाथ मे तलवार का वजन मिलाये तो 207 किलो 4.आज भी महा राणा प्रताप कि तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रालय में सुरक्षित है | 5.अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है तो आदा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे पर बादशाहट अकबर ही रहेगी | 6.हल्दी घाटीकी लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर कि और से 85000 सैनिक युध्ध में समलित हुए | 7.राणाप्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना जो आज हल्दी घटी में सुरक्षित है | 8.महारा

महाभारत

जाने क्यू माना किया जाता है ''महाभारत'' को घर में रखने से , पौराणिक धर्म गुरु सिखाते है की ''महाभारत'' घर में मत रखो कलेश बड़ेगा | इस तरह की बाते सारे हिन्दू समाज को ''नापुंसक'' बनाने के लिये कही जाती है ताकि विदेशी अपने ''मनोरथ'' में सफल हो सके वास्तव में , महाभारत में वो सब कुछ है जिसकी जरूरत आज 'कलयुग' में है चाहे वो भाई से भाई का ''धोका'' हो या या ''छल'' से सत्य/असत्य को जितना  | अगर यह माना जाये कि ''महाभारत'' रखने से भाइयो में बैर बडता है तो ''पांडवो और कौरव'' में लड़ाई कैसे हो गयी तब तो महाभारत नही लिखी गयी थी ? बेशक महाभारत कोई धार्मिक ग्रंथ नही है और 95% पुजारी वर्ग इनको ही आदर्श मानते है जिसके कारण सारा देश पथ भ्रमित हो गया है  | महाभारत धार्मिक ग्रंथ नही है लेकिन वो ''सत्य'' के साथ खड़े होने की सीख देता है और धर्म गुरु सिखाते है की इनको घर में ''मत'' रखो इनका बस चले तो सबके हाथो में एक ''ढोल

भारत के वीर

 कोई वीर, जो देश की सीमा पर पहरा देता है और कोई योगी जो किसी गुफा में बैठकर बरसों सधना करता है, उस योगी की साधना और देश के पहरेदार की तपस्या, दोनों का कार्य एक जैसा है। दोनों की भक्ति एक जैसी है। और दोनों को शरीर छूटने के बाद एक जैसी गति मिलती है। वीर को ‘वीरगति’ मिलती है और ज्ञानी को ‘ब्रह्मगति’ प्राप्त होती है। देश के जवानों का कार्य किसी योगी से कम नहीं है, किसी भक्त से कम नहीं है। इनका कार्य संसार में सबसे ऊंचा है। हमारे देश में एक बहुत बड़े क्रांतिकारी हुए रामप्रसाद बिस्मिल। काकोरी काण्ड के इस अमर शहीद को फांसी होने से तीन दिन पहले गोरखपुर जेल में, जेलर स्टीफन, मिलने के लिए आए। रामप्रसाद जी के साथ हुई भेंट का वर्णन करते हुए जेलर स्टीफन ने जेम्स केल्हन एक लेखक, जिसने भारत के सम्बन्ध में एक पुस्तक लिखी, को दिए इंटरव्यू में वीरता की रोमांचकारी घटना का उल्लेख किया। जब जेलर ने कहा तीन दिन बाद फांसी होगी:- स्टीफन कहता है, ‘‘मैं जब जेल में गया तो मैंने देखा रामप्रसाद बिस्मिल गाना गा रहा है और आसपास वाले बैरक के कैदियों को चुटकले सुना-सुना कर हंसा रहा है। मैं उसके पास गया औ

वैदिक व वैज्ञानिक दृष्टि से मौली या कलावा बांधने का क्या अर्थ है ?

हिंदू धर्म में कई रीति-रिवाज तथा मान्यताएं हैं | इन रीति-रिवाजों तथा मान्यताओं का सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक पक्ष भी है, जो वर्तमान समय में भी एकदम सटीक बैठता है | हिंदू धर्म में प्रत्येक धार्मिक कर्म यानि पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन आदि के पूर्व ब्राह्मण द्वारा यजमान के दाएं हाथ में कलावा/मौली (एक विशेष धार्मिक धागा) बांधी जाती है | किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करते समय या नई वस्तु खरीदने पर हम उसे कलावा/मौली बांधते है ताकि वह हमारे जीवन में शुभता प्रदान करे | कलावा/मौली कच्चे सूत के धागे से बनाई जाती है। यह लाल रंग, पीले रंग, या दो रंगों या पांच रंगों की होती है | इसे हाथ गले और कमर में बांधा जाता है | शंकर भगवान के सिर पर चंद्रमा विराजमान है इसीलिए उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है | कलावा/मौली बांधने की प्रथा तब से चली आ रही है जब दानवीर राजा बली की अमरता के लिए वामन भगवान ने उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था | शास्त्रों में भी इसका इस श्लोक के माध्यम से मिलता है - येन बद्धो बलीराजा दानवेन्द्रो महाबल:| तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे माचल माचल|| शास्त्रों का ऐसा मत है कि कलावा/

देवताओं के नाम के आगे लार्ड शब्द

देवताओं के नाम के आगे लार्ड शब्द (Lord Word) का प्रयोग बंद करो क्या आपने कभी कभी सोचा है की लार्ड (अँग्रेज़ी शब्द) और भगवान (हिन्दी शब्द) में क्या अंतर है ? कभी सोचा है आखिर अग्रेजों ने हिन्दू धर्म के देवताओं के नाम के आगे भगवान के बाजय लार्ड अँग्रेज़ी शब्द को प्रयोग क्यों किया ? हिन्दी शब्द भगवान का अर्थ: भ - भूमि, ग- गगन, व- वायु, आ- अग्नि, न-नीर मैकाले की संस्कार विहीन शिक्षापद्दती देश के विकास में बाधक है | शिक्षा व्यवस्था में संस्कारों का अभाव तथा इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने के कारण ही देश का युवा अपने राष्ट्रीय स्वाभिमान से विमुख होकर पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण को विवश है | अंग्रेज़ चले गये पर उनके मानसपुत्रों की कमी नहीं है | भारत में, भारतीय संसद के सभी सदस्यों के लिए, चाहे वे लोक सभा के सदस्य हों या राज्यसभा के, सांसद शब्द का प्रयोग किया जाता है | यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन), हाउस ऑफ़ लार्ड्स के सदस्य 'लार्ड्स ऑफ़ पार्लियामेंट' कहे जाते हैं | इंग्लैंड सरकार की ओर से लॉर्ड एक उपाधि है | लॉर्ड की उपाधि प्राप्त भारत के वाइसरॉय एवं गवर्नर जनरल: • लॉर्ड वि

इराक में आज जो हो रहा है, उससे भी कहीं बर्बर हमलों को हमारे देश ने झेला है |

1) मीर कासिम ने सिंध में रात को धोखे से घुस कर एक रात में 50000 से ज्यादा हिन्दुओं का कत्ले आम कर सिंध पर कब्ज़ा किया | 2) सोमनाथ मंदिर के अन्दर मौजूद 32500 ब्राह्मणों के खून से मुहम्मद गजनवी ने परिसर को नहला दिया था | 3) सोमनाथ में लगी भगवान् की मूर्तियों को मुहम्मद गजनवी ने अपने दरबार और शोचालय के सीढियों में लगवा दिया था ताकि वो रोज उनके पैर नीचे आती रहे | 4) औरंगजेब के इस्लाम कबूल करवाने के खुले आदेश के बाद सबसे ज्यादा तबाही आई | कुछ को जबरदस्ती से मुस्लिम बनवाया गया जो आज त्यागी, राठोड, चौधरी, जट, राजावत, भाटी, मोह्यल नाम लगाकर घूम रहे है | 6) औरंगजेब ने ब्राह्मणों द्वारा इस्लाम कबूल ना करने पर उन्हें गर्म पानी में उबाल कर जिन्दा चमड़ी उतरवाने का फरमान जारी किया | ब्राह्मणों की शिखाएं और जनेउ जलाकर औरंगजेब ने अपने नहाने का पानी गर्म किया | 7) मुहम्मद जलालुदीन ने हर हिन्दू राज्य जीतने पर वहां की लडकियों को उठवा दिया जो मीना बाजार और हरम में पंहुचा दी जाती थीं | 8) अजयमेरु का सोमेश्वर नाथ शिव मंदिर तोड़कर अजमेर दरगाह खड़ी की गयी साथ ही वैष्णव मंदिर तोड़ ढाई दिन का झोपड़ा तय

धर्म-परिवर्तनके दुष्परिणाम

१. सामाजिक दुष्परिणाम १ अ. कंधमलमें (उडीसामें) वनवासी जनजातियोंके धर्म-परिवर्तनका दुष्परिणाम          ‘धर्मांतरितोंके रहन-सहनमें विलक्षण परिवर्तन दिखाई देनेके कारण कंधमलमें ईसाई  बनी जनजातियां और वहांके परंपरागत समाजमें दूरियां बढ गई हैं ।’ - दैनिक ‘राष्ट्रीय सहारा’ (६.७.२००९) १ आ. बहुसंख्यक बने ईसाइयोंकी धर्मांधताका सामाजिक जीवनपर दुष्परिणाम होना           नागभूमिमें (नागालैंडमें) ईसाइयोंके धार्मिक दिवस रविवारके दिन अन्य कार्यक्रम प्रतिबंधित हैं । उस दिन बसें भी बंद रहती हैं । कृषक अपने खेतोंमें रविवारको काम नहीं कर सकते । यदि वे करें, तो उन्हें ५ सहस्र रुपए दंड भरना पडता है एवं २५ कोडे खाने पडते हैं । १ इ. ईसाई बहुसंख्यक मेघालयमें केंद्रशासनके नियमोंमें ईसाई धर्मका संदर्भ जोडा जाना          ‘मेघालय राज्यमें केंद्रशासनके नियमानुसार रविवारको छुट्टी रहती है । किंतु , इस विषयमें मेघालय शासनके ग्रामीण विकास विभागकी अप्पर सचिव श्रीमती एम्. मणीने एक लिखित उत्तरमें कहा, ‘हमारा राज्य ईसाई होनेके कारण रविवारको यहां सबकी छुट्टी रहती है ।’ मंगरूलनाथके मानवाधिकार कार्यकर्ता और सेवान