मातृ भाषा ' शिक्षा ' और विकास


मातृ भाषा ' शिक्षा ' और विकास किसी भी देश का विकासशील होना उसकी शिक्षा पर निर्भर करता है इस बात पर आज हर कोई सहमत हो सकता है परन्तु मेरी दृष्टि से । क्या केवल यही एक मात्र विकाश पथ के लिए जिम्मेवार है ? यदि मै कहु की नही तब आप को भले ही संकोच हो सकता है परन्तु कुछ हद तक ये सच्चाई अवस्य है जो मै आप सभी के सामने रख रहा हु । मातृ भाषा इस विकाशील में सबसे अहम् भूमिका निभाती है । और भारत आज अपने मातृभाषा से दूर हो चला है कुछ कुछ ऐसे भी प्रांत है जहाँ भारत की मातृभाषा लुप्त प्राय: हो चुकी है । अब चलिए पोस्ट के विषय के अहम् विषय पर चीन :- चीन आज विकास शील देश के लगभग हर हिस्से में अपना बर्चस्व स्थापित किया है । ऐसा भला क्यों आज भारत भी तो इनकी जन संख्या के लगभग है फिर ऐसा क्यों ? क्यों की चीन आज भी चीन अपने मातृ भाषा को नही गवायाँ आज चीन पर कोई भी बेदेशी भाषा हावी नही है जिस कारण हर बिषय सभी तक पहुचने में शक्षम होता है । वही भारत पर आज बिदेशी भाषा हावी है और भारत की स्थिति ऐसी है की यहाँ के लगभग 45% जन संख्या उस बिदेशी भाषा english से अपरिचित है जिस कारण हर बिषय उस 45% जन संख्या तक पहुच नही पाती है जिसका परिणाम आप के सामने है हालाकि भारत में प्रतिभा अन्य देश के मुकाबले ज्यादा है । जापान :- इस देश की भी स्थिति लगभग चीन जैसी है इन्होने ने भी अपनी मातृ भाषा नही गवाई जिस कारण ये देश भी विकास शील देशो में सामिल है । फ्रांस :- इनकी भी अपनी ही भाषा है ये देश किसी दुसरे देश की भाषा का मोहताज नही है जिस कारण विकास शील देशो में नाम इनका भी है । जर्मनी :- इस देश की भी अपनी मातृ भाषा है जिन्होंने आज तक उसे जिन्दा बनाए रखा । अमेरिका :- क्या इस देश में दूसरी किसी भी देश की भाषा है नहीं न फिर ये भला विकास शील देशो में पीछे कैसे रहे । ब्रिटेन :- इस देश की भी अपनी भाषा है जो मातृभाषा के जरिये ही अपनी पीढ़ी को शिक्षा प्रदान करती गई और विकास शील देशो में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित कराया है । रूस :- इस देश की भाषा ही जीवन है मानो भाषा के बिना जीवित ही नही रह सकते जबकि इतिहास शाक्षी है इस देश में भारतीय की कमी नही है फिर भी उन्होंने भारतीय भाषा का छाप नही छोड़ पाया जिस कारण इस देश का भी विकास शील होना लाजमी है । वही भारत में आज हिंदी भाषा जो को भारत की मातृभाषा है उनके जगह आज विदेशी हावी हो चली है आज हर विषय scince ' enggineer ' docter आदि आदि इन सभी विषयो की शिक्षा engliah में है और आज भी भारत के ज्यादा से ज्यादा लोग इस भाषा से अनभिग्य है वैसे सच कही तो मै स्वय ही english नही जानता । आप सभी मित्रो से निवेदन है की आप भी अपनी प्रतिकिर्या अवस्य दे की क्या मैंने जो यहाँ अपनी मनो ब्याथा राखी है वो कितनी सत्य है और कितनी मिथ्या ।

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