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सूर्य नमस्कार

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"ॐस्वस्तिश्री***सूर्य नमस्कार" सूर्य नमस्कार का सरल अर्थ है 'सूर्य को प्रणाम।  वैदिक युग के प्रबुद्ध ऋषियों द्वारा सूर्य नमस्कार की परम्परा हमें प्राप्त हुर्इ है।  सूर्य  आध्यातिमक चेतना का प्रतीक है। प्राचीन काल में दैनिक सूर्योपासना का विधान नित्य-कर्म के रूप में था। योग में सूर्य का प्रतिनिधित्व पिंगला अथवा सूर्य नाड़ी द्वारा होता है। सूर्य नाड़ी प्राण-वाहिका है, जो जीवनी- शक्ति वहन करती है। गतिशील आसनों का यह समूह हठयोग का पारम्परिक अंग नहीं माना जाता है, क्योंकि कालान्तर में मौलिक आसनों की श्रृंखला में इन्हेंसमिमलित किया गया था। यह शरीर के सभी जोड़ों एवंमांसपेशियों को ढीला करनेतथा उनमें खिंचाव लाने और आंतरिक अंगों की मालिश करने का एक प्रभावी ढंग है। इसकी बहुमुखी गुणवत्ता और उपयोगिता ने एक स्वस्थ, ओजस्वी और सक्रिय जीवन के लिए तथा साथ- ही आध्यातिमक जागरण और चेतना केविकास के लिए एक अत्यन्त उपयोगी पद्धति के रूप में इसेस्थापित किया है। सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। सूर्य नमस्कार में बारह मंत्र उचारे जाते हैं। प्रत्येक मंत्र में सूर्य का भिन्न नाम ल