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Showing posts from March, 2014

अण्डे का सच

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अण्डे का सच और रहस्य ! आजकल मुझे यह देख कर अत्यंत खेद और आश्चर्य होता है की अंडा शाकाहार का पर्याय बन चुका है...खैर मै ज्यादा भूमिका और प्रकथन में न जाता हुआ सीधे तथ्य पर आ रहा हूँ. मादा स्तनपाईयों (बन्दर बिल्ली गाय मनुष्य) में एक निश्चित समय के बाद अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है, उदारहरणतः मनुष्यों में यह महीने में एक बार...चार दिन तक होता है. जिसे माहवारी या मासिक धर्म कहते है...उन दिनों में स्त्रियों को पूजा पाठ, चूल्हा रसोईघर आदि से दूर रखा जाता है...यहाँ तक की स्नान से पहले किसी को छूना भी वर्जित है कई परिवारों में...! शास्त्रों में भी इन नियमों का वर्णन है. इसका वैज्ञानिक विश्लेषण करना चाहूँगा...मासिक स्राव के दौरान स्त्रियों में मादा हार्मोन(estrogen) की अत्यधिक मात्रा उत्सर्जित होती है और सारे शारीर से यह निकलता रहता है...इसकी पुष्टि के लिए एक छोटा सा प्रयोग करिये...एक गमले में फूल या कोई भी पौधा है तो उस पर रजस्वला स्त्री से दो चार दिन तक पानी से सिंचाई कराइये...वह पौधा सूख जाएगा...! अब आते है मुर्गी के अण्डे की ओर... १) पक्षियों (मुर्गियों) में भी अंडोत

एसिडिटी का आयुर्वेदिक उपचार

एसिडिटी क्या होती है? हम जो खाना खाते हैं, उसका सही तरह से पचना बहुत ज़रूरी होता है। पाचन की प्रक्रिया में हमारा पेट एक ऐसे एसिड को स्रावित करता है जो पाचन के लिए बहुत ही ज़रूरी होता है। पर कई बार यह एसिड आवश्यकता से अधिक मात्रा में निर्मित होता है, जिसके परिणामस्वरूप सीने में जलन और फैरिंक्स और पेट के बीच के पथ में पीड़ा और परेशानी का एहसास होता है। इस हालत को एसिडिटी या एसिड पेप्टिक रोग के नाम से जाना जाता है । एसिडिटी होने के कारण एसिडिटी के आम कारण होते हैं, खान पान में अनियमितता, खाने को ठीक तरह से नहीं चबाना, और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना इत्यादि। मसालेदार और जंक फ़ूड आहार का सेवन करना भी एसिडिटी के अन्य कारण होते हैं। इसके अलावा हड़बड़ी में खाना और तनावग्रस्त होकर खाना और धूम्रपान और मदिरापान भी एसिडिटी के कारण होते हैं। भारी खाने के सेवन करने से भी एसिडिटी की परेशानी बढ़ जाती है। और सुबह सुबह अल्पाहार न करना और लंबे समय तक भूखे रहने से भी एसिडिटी आपको परेशान कर सकती है। एसिडिटी के लक्षण • पेट में जलन का एहसास • सीने में जलन • मतली का एहसास • डीसपेपसिया • डकार आना

Pakistan’s mysterious love for Indian anti-corruption crusaders

When electoral preparation is going on in full swing for upcoming general elections in both Afghanistan and India, the cadres are busy with placards and posters; the covert game of Pakistani Political Agents is underway in both these nations. Analyzing the recent developments will uncover the naked faces of the Pakistani political games going on in India that the innocent public of India will find hurting. Pakistan, whose birth was blessed by religious hatred against India, the same Pakistan whose very existence depends on the enmity towards India is bedfellow of some self-acclaimed custodians of the clear governance of India, is it just a coincidence or uppermost layer of a deep conspiracy? The story started two years back. Indian politician and international economist Dr. Subramanian Swamy almost toppled the political scenario of the country which was rubbed by corruption, terrorism, strategic encircling etc. Dr. Swamy exposed a major corruption of telecommunicati

नेहरु हिंदू थे या मुस्लिम:एक खोज

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भाग-१ (इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार जो अधिकांश लोग जानते है) • गियासुद्दीन गाजी उर्फ गंगाधर नेहरु- पिता मोतीलाल नेहरु • मोतीलाल नेहरु- पिता जवाहर लाल नेहरु, • जवाहर लाल नेहरु- पिता मोतीलाल नेहरु/मुबारक अली • मैमून बेगम उर्फ इंदिरा गाँधी- पिता जवाहर लाल नेहरु • राजीव खान गाँधी- पिता फिरोज खान वल्द जहाँगीर नवाब खान, माता मैमून बेगम उर्फ इंदिरा गाँधी. राजीव खान गाँधी ने ईसाई धर्म अपनाकर अपना नाम रोबर्टो रखकर अंतोनियो मैनो उर्फ सोनिया कैथोलिक ईसाई से शादी की • संजय खान गाँधी- पिता मोहम्मद युनुस खान, माता मैमून बेगम उर्फ इंदिरा गाँधी • राउल विन्ची उर्फ राहुल गाँधी- पिता राजीव खान गाँधी उर्फ रोबर्टो (कैथोलिक ईसाई) • बियांका उर्फ प्रियंका गाँधी- पिता राजीव खान गाँधी उर्फ रोबर्टो (कैथोलिक ईसाई), पति रोबर्ट वढेरा, कैथोलिक ईसाई भाग-२ (हमारी खोज) 1. संलग्न तस्वीर में बायीं तरफ उपर नेहरु के दादा जी का तस्वीर है जो आनंद भवन में लगा है और जिसपर लिखा है “जवाहर लाल नेहरु के दादा गंगाधर नेहरु”. ये १८५७ के विप्लव के पूर्व दिल्ली के कोतवाल थे. नेहरु ने अपने जीवनी में इनके बारे में लिखा है,

प्राचीन भारतीय विमान शास्त्र : सनातन वैदिक विज्ञान का अप्रतिम स्वरूप

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हिंदू वैदिक ग्रंथोँ एवं प्राचीन मनीषी साहित्योँ मेँ वायुवेग से उड़ने वाले विमानोँ (हवाई जहाज़ोँ) का वर्णन है, सेकुलरोँ के लिए ये कपोल कल्पित कथाएं हो सकती हैँ, परन्तु धर्मभ्रष्ट लोगोँ की बातोँ पर ध्यान ना देते हुए हम तथ्योँ को विस्तार देते हैँ।ब्रह्मा का १ दिन, पृथ्वी पर हमारे वर्षोँ के ४,३२,००००००० दिनोँ के बराबर है। और यही १ ब्रह्म दिन चारोँ युगोँ मेँ विभाजित है यानि, सतयुग, त्रेता, द्वापर एवं वर्तमान मेँ कलियुग। सतयुग की आयु १,७२,८००० वर्ष निर्धारित है, इसी प्रकार १,००० चक्रोँ के सापेक्ष त्रेता और कलियुग की आयु भी निर्धारित की गई है। सतयुग मेँ प्राणी एवं जीवधारी वर्तमान से बेहद लंबा एवं जटिल जीवन जीते थे, क्रमशः त्रेता एवं द्वापर से कलियुग आयु कम होती गई और सत्य का प्रसार घटने लगा, उस समय के व्यक्तियोँ की आयु लम्बी एवं सत्य का अधिक प्रभाव होने के कारण उनमेँ आध्यात्मिक समझ एवं रहस्यमयी शक्तियां विकसित हुई, और उस समय के व्यक्तियोँ ने जिन वैज्ञानिक रचनाओँ को बनाया उनमेँ से एक थी "वैमानिकी"। उस समय की मांग के अनुसार विभिन्न विमान विकसित किए गए, जिन्हेँ भगवान ब्रह

ध्वनि तथा वाणी विज्ञान

सात सुरों का भारतीय संसार सृष्टि की उत्पत्ति की प्रक्रिया नाद के साथ हुई। जब प्रथम महास्फोट ( बिग बैंग ) हुआ , तब आदि नाद उत्पन्न हुआ। उस मूल ध्वनि को जिसका प्रतीक ‘ ॐ ‘ है , नादव्रह्म कहा जाता है। पांतजलि योगसूत्र में पातंजलि मुनि ने इसका वर्णन ‘ तस्य वाचक प्रणव : ‘ की अभिव्यक्ति ॐ के रूप में है , ऐसा कहा है। माण्डूक्योपनिषद्‌ में कहा है - ओमित्येतदक्षरमिदम्‌ सर्वं तस्योपव्याख्यानं भूतं भवद्भविष्यदिपि सर्वमोड्‌ ◌ ंकार एवं यच्यान्यत्‌ त्रिकालातीतं तदप्योङ्कार एव॥ माण्डूक्योपनिषद्‌ - १ ॥ अर्थात्‌ ॐ अक्षर अविनाशी स्वरूप है। यह संम्पूर्ण जगत का ही उपव्याख्यान है। जो हो चुका है , जो है तथा जो होने वाला है , यह सबका सब जगत ओंकार ही है तथा जो ऊपर कहे हुए तीनों कालों से अतीत अन्य तत्व है , वह भी ओंकार ही है। वाणी का स्वरूप हमारे यहां वाणी विज्ञान का बहुत गहराई से विचार किया गया। ऋग्वेद में एक ऋचा आती है - चत्वारि वाक्‌ परिमिता पदानि तानि विदुर्व्राह्मणा ये मनीषिण : गुहा त्रीणि निहिता नेङ्गयन्ति तुरीयं वाचो मनुष्या वदन्ति॥ ऋग्वेद १ - १६४ - ४५ अर्थात्‌ वाणी के चा