भारतीय इतिहास के साथ खिलवाड़
भारतीय इतिहास के साथ इस खिलवाड़ के मुख्य दोषी वे ''वामपंथी इतिहासकार'' हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद नेहरू की सहमति से प्राचीन हिन्दू गौरव को उजागर करने वाले इतिहास को या तो काला कर दिया या धुँधला कर दिया और इस गौरव को कम करने वाले इतिहास-खंडों को प्रमुखता से प्रचारित किया, जो उनकी तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के खाँचे में फिट बैठते थे | यहाँ वामपंथी इहिसकार केवल दलित पिछडे नही अपितु काशी पीठ के आचार्य, ''शंकराचार्य'', ''धर्म गुरु'' तक शामिल थे | अयाश नेहरू इनको बड़ा हिस्सा देता था . . . . .. कुछ अन्य तथाकथित इतिहासकार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की उपज थे, जिन्होंने नूरुल हसन और इरफान हबीब की अगुआई में इस प्रकार इतिहास को विकृत किया | भारतीय इतिहास कांग्रेस पर लम्बे समय तक इनका कब्जा रहा, जिसके कारण इनके द्वारा लिखा या गढ़ा गया अधूरा और भ्रामक इतिहास ही आधिकारिक तौर पर भारत की नयी पीढ़ी को पढ़ाया जाता रहा, वे देश के नौनिहालों को यह झूठा ज्ञान दिलाने में सफल रहे कि भारत का सारा इतिहास केवल पराजयों और गुलामी का इतिहास है और यह कि भारत का