महाराणा प्रताप
1.महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोडा समेत दुश्मन सैनिको को काट डालते थे |
2.जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने अपनी माँ से पूछाकी हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर अाए | तब माँ का जवाब मिला ” उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्टी धूल लेकरआना जहा का राजा अपने प्रजा के प्रति इतना वफ़ा दार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले आपनी मातृभूमि को चुना ” बद किस्मत से उनका वो दौरा रदद्ध हो गया था | “बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ‘ किताब में आप ये बात पढ़ सकते है |
3.महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो था और कवच का वजन 80 किलो कवच ,भाला, ढाल,और हाथ मे तलवार का वजन मिलाये तो 207 किलो
4.आज भी महा राणा प्रताप कि तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रालय में सुरक्षित है |
5.अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है तो आदा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे पर बादशाहट अकबर ही रहेगी |
6.हल्दी घाटीकी लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर कि और से 85000 सैनिक युध्ध में समलित हुए |
7.राणाप्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना जो आज हल्दी घटी में सुरक्षित है |
8.महाराणा ने जब महलो का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगो ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फोज के लिए तलवारे बनायीं इसी समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गड़लिया लोहार कहा जाता है नमन है ऐसे लोगो को |
9.हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वह जमीनो में तलवारे पायी गयी। आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 हल्दी घाटी के में मिला |
10.महाराणा प्रताप अस्त्र शत्र कि शिक्सा जैमल मेड़तिया ने दी थी जो 8000 राजपूतो को लेकर 60000 से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे |
11.राणा प्रताप के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था |
12.मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में अकबर कि फोज को आपने तीरो से रोंद डाला था वो राणाप्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा जी बिना भेद भाव के उन के साथ रहते थे आज भी मेवाड़ के राज चिन्ह पैर एक तरह राजपूत है तो दूसरी तरह भील |
13.राणा का घोडा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिआ पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिआ पार कर गया। जहा वो घायल हुआ वहॉ आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है जहा मारा वह मंदिर है |
14.राणा का घोडा चेतक भी बहुत ताकत वर था उसके मुह के आगे हाथी कि सूंड लगाई जाती थी यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे |
15.मरने से पहले महाराणा ने खोया हुआ 85 % मेवार फिर से जीत लिया था *सोने चांदी और महलो को छोड़ वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे |
16.महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7’5” थी दो मियां वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में |
17.मेवाड़ राजघराने के वारिस को एक लिंग जी भगवन का दीवान माना जाता है |
18.छात्रपति शिवाजी भी मूल रूप से मेवाड़ से तलूक रखते थे वीर शिवा जी के पर दादा उदैपुर महा राणा के छोटे भाई थे |
19.अकबर को अफगान के शेख रहमुर खान ने कहा था अगर तुम राणा प्रताप और जयमल मेड़तिया को अपने साथ मिलालो तो तुम्हे विश्व विजेता बन्ने से कोई नहीं रोक सकता पर इन दोनों वीरो ने जीते जी कबि हार नहीं मानी |
20.नेपाल का राज परिवार भी चित्तोड से निकला है दोनों में भाई और खून का रिश्ता है |
21.मेवाड़ राजघराना आज भी दुनियाका सबसे प्राचीन राजघराना है
2.जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने अपनी माँ से पूछाकी हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर अाए | तब माँ का जवाब मिला ” उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्टी धूल लेकरआना जहा का राजा अपने प्रजा के प्रति इतना वफ़ा दार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले आपनी मातृभूमि को चुना ” बद किस्मत से उनका वो दौरा रदद्ध हो गया था | “बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ‘ किताब में आप ये बात पढ़ सकते है |
3.महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो था और कवच का वजन 80 किलो कवच ,भाला, ढाल,और हाथ मे तलवार का वजन मिलाये तो 207 किलो
4.आज भी महा राणा प्रताप कि तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रालय में सुरक्षित है |
5.अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है तो आदा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे पर बादशाहट अकबर ही रहेगी |
6.हल्दी घाटीकी लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर कि और से 85000 सैनिक युध्ध में समलित हुए |
7.राणाप्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना जो आज हल्दी घटी में सुरक्षित है |
8.महाराणा ने जब महलो का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगो ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फोज के लिए तलवारे बनायीं इसी समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गड़लिया लोहार कहा जाता है नमन है ऐसे लोगो को |
9.हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वह जमीनो में तलवारे पायी गयी। आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 हल्दी घाटी के में मिला |
10.महाराणा प्रताप अस्त्र शत्र कि शिक्सा जैमल मेड़तिया ने दी थी जो 8000 राजपूतो को लेकर 60000 से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे |
11.राणा प्रताप के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था |
12.मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में अकबर कि फोज को आपने तीरो से रोंद डाला था वो राणाप्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा जी बिना भेद भाव के उन के साथ रहते थे आज भी मेवाड़ के राज चिन्ह पैर एक तरह राजपूत है तो दूसरी तरह भील |
13.राणा का घोडा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिआ पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिआ पार कर गया। जहा वो घायल हुआ वहॉ आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है जहा मारा वह मंदिर है |
14.राणा का घोडा चेतक भी बहुत ताकत वर था उसके मुह के आगे हाथी कि सूंड लगाई जाती थी यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे |
15.मरने से पहले महाराणा ने खोया हुआ 85 % मेवार फिर से जीत लिया था *सोने चांदी और महलो को छोड़ वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे |
16.महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7’5” थी दो मियां वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में |
17.मेवाड़ राजघराने के वारिस को एक लिंग जी भगवन का दीवान माना जाता है |
18.छात्रपति शिवाजी भी मूल रूप से मेवाड़ से तलूक रखते थे वीर शिवा जी के पर दादा उदैपुर महा राणा के छोटे भाई थे |
19.अकबर को अफगान के शेख रहमुर खान ने कहा था अगर तुम राणा प्रताप और जयमल मेड़तिया को अपने साथ मिलालो तो तुम्हे विश्व विजेता बन्ने से कोई नहीं रोक सकता पर इन दोनों वीरो ने जीते जी कबि हार नहीं मानी |
20.नेपाल का राज परिवार भी चित्तोड से निकला है दोनों में भाई और खून का रिश्ता है |
21.मेवाड़ राजघराना आज भी दुनियाका सबसे प्राचीन राजघराना है
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