श्रावण मास और रमजान

1. श्रावण मास शिव जी को समर्पित है और इस पवित्र माह में पार्वती जी भगवान शंकर जी से राम जी के जीवन चरित्र को सुनती (श्रवण) करती हैं |

2. इसी राम कथा के सुनने और सुनाने (श्रावण) की परिपाटी में इस पवित्र माह को"श्रावण"कहा गया है | और विश्व भर के हिन्दू इस माह में सत्य नारायण की कथा और राम चरित मानस का पाठ करते हैं |

3. वास्तव में गोस्वामी जी विरचित श्री राम चरित मानस में मास परायण का विश्राम भी इसलिए ही होता है | और इस दिव्य पुस्तक का नाम भी मानस इसलिए है की अपने मानस में बसे राम के चरित्र को शंकर जी माता पार्वती को सुना रहे है |
उदहारण : चौपाई में बहुत से स्थानों पर पार्वती का संबोधन जैसे "उमा राम सुभाऊ जेहि जाना", "उमा जे राम चरन रत बिगत काम मद क्रोध", "उमा राम की भृकुटि विलासा", "उमा न कछु कपि कै अधिकाई" अदि अदि

4. आप सभी पाठकों से निवेदन है की सावन के इस पवित्र माह में आप भी राम जी के जीवन को पढ़ें और जानें किसी भी भाषा में | इन्टरनेट पर भी आप को राम चरित मानस मिल जाएगा |

5. आप अपने मोबाइल के एंड्राइड ऐप और एप्पल पर भी कितने एप्लीकेशन पा सकते हैं जिसे डाउनलोड कर के आप कभी भी "श्री राम चरित मानस जी" और "श्री गीता जी" को पढ़ और जान सकते हैं |

6. मित्रों इस्लाम के पवित्र महीना रमजान संस्कृत शब्द  "रामज्ञान" का अपभ्रंस है | और मक्का विश्वप्रसिद्ध शिव लिंग भी था जिसे "कबालेश्वर महादेव" के नाम से जानते हैं | इस कारण सावन का महत्त्व वहां भी था मुहम्मद के समय भी |

7. चुकी सावन में रामायण का पाठ सनातन से चला आ रहा है तो वो इसी की नक़ल कर के "रामदान" बना लिए |

8. भारत को छोड़ पूरे संसार में रमजान को "रामदान" कहते है, आप गूगल पर भी देख सकते हैं | भारत में अपनी नक़ल छुपाने को इन्होने इसे "रमजान" कर दिया | जैसा की आप सभी जानते हैं की पैगम्बर के चाचा एक हिन्दू थे और अरब में भी आर्य संस्कृति का प्रभाव बहुत था |

9. मुहम्मद साहब के चाचा ने एक पुस्तक भी लिखी थी "शायर उल ओकुल" जिसमें हिन्दू संस्कृति की भूरी भूरी प्रसंसा थी | बाद में मुहम्मद के जिहादियों ने उन्हें मार दिया था |

10. नक़ल यहीं बंद नहीं हुई : गर्भा बना काबा, पुराण बना कुराण, संगे अश्वेत बना संगे अस्वाद, हमारा मलमास बना सफ़र मास, रवि से उनका रबी महिना, उनका ग्यारहवी शरीफ हमारे एकादशी (11) की ही नक़ल है | गृह से ही उनका गाह शब्द बना ईदगाह , दरगाह |

11. उनका "नमाज" भी संस्कृत के नमत शब्द से बना है जिसका अर्थ है झुकना | नमस्ते शब्द भी इसी से निकला है |

12. दिन में 5 बार नमाज हमारे वेदों के"पञ्च महा यज्ञ"की ही नक़ल है |

13. मुसलामानों का त्यौहार "शब्बेरात" शिवरात्री का ही अपभ्रंस है |

14. नमाज के पहले 5 अंगों को धुलना वेदों के "शरीर शुद्ध्यर्थं पंचांग न्यासः" का ही नियम है |

15. ईद उल फितर हिन्दुओं का पित्रपक्ष ( ईद उल पित्र  ) ही है | और ईद उल फ़ित्र में मुसलमान अपने पूरकों को ही याद करते हैं |

इस नक़ल की प्रक्रिया लेखन इतना लम्बा है. . . .पूरी किताब तैयार हो सकती है |
चलते चलते : कितने हिन्दू भाइयों को ये भी न पता होगा की पैगम्बर सिकंदर के 500 साल बाद पैदा हुए थे और इसका अर्थ हुआ की चन्द्रगुप्त मौर्य के लगभग400 साल बाद

Comments

Popular posts from this blog

मोईनुद्दीन चिश्ती एक गद्दार घुसपैठिया

The Mughal Invader : Babur

ईशावास्योपनिषद(Ishavasya Upanishad) भाग -एक