मंगल कलश का महत्व
वैज्ञानिक ज्ञान को प्रतीकों में बाँधकर धार्मिक आस्था में ओतप्रोत कर देना हिन्दू धर्म की विशेषता है। हिन्दू रीति के अनुसार जब भी कोई पूजा होती है, तब मंगल कलश की स्थापना अनिवार्य होती है। बड़े अनुष्ठान यज्ञ यागादि में पुत्रवती सधवा महिलाएँ बड़ी संख्या में मंगल कलश लेकर शोभायात्रा में निकलती हैं। उस समय सृजन और मातृत्व दोनों की पूजा एक साथ होती है। समुद्र मंथन की कथा बहुत प्रसिद्ध है। समुद्र जीवन और तमाम दिव्य रत्नों और उपलब्धियों का स्रोत है। देवी अर्थात् रचनात्मक और दानवी अर्थात् ध्वंसात्मक शक्तियाँ इस समुद्र का मंथन मंदराचल शिखर पर्वत की मथानी और वासुकी नाग की रस्सी बनाकर करती हैं। पहली दृष्टि में यह एक कपोल कल्पना अथवा गल्पकथा लगती है, क्योंकि पुराणों में अधिकांश ऐसी ही कथाएँ हैं, किन्तु उनका मर्म बहुत गहरा है। जीवन का अमृत तभी प्राप्त होता है, जब हम विषपान की शक्ति और सूझबूझ रखते हैं। यही श्रेष्ठ विचार इस कथा में पिरोया हुआ है, जिसे हम मंगल कलश द्वारा बार-बार पढ़ते हैं। कलश का पात्र जलभरा होता है। जीवन की उपलब्धियों का उद्भव आम्र पल्लव, नागवल्ली द्वारा दिखाई पड़ता है। जटाओं से युक्त