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सूर्य नमस्कार

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"ॐस्वस्तिश्री***सूर्य नमस्कार" सूर्य नमस्कार का सरल अर्थ है 'सूर्य को प्रणाम।  वैदिक युग के प्रबुद्ध ऋषियों द्वारा सूर्य नमस्कार की परम्परा हमें प्राप्त हुर्इ है।  सूर्य  आध्यातिमक चेतना का प्रतीक है। प्राचीन काल में दैनिक सूर्योपासना का विधान नित्य-कर्म के रूप में था। योग में सूर्य का प्रतिनिधित्व पिंगला अथवा सूर्य नाड़ी द्वारा होता है। सूर्य नाड़ी प्राण-वाहिका है, जो जीवनी- शक्ति वहन करती है। गतिशील आसनों का यह समूह हठयोग का पारम्परिक अंग नहीं माना जाता है, क्योंकि कालान्तर में मौलिक आसनों की श्रृंखला में इन्हेंसमिमलित किया गया था। यह शरीर के सभी जोड़ों एवंमांसपेशियों को ढीला करनेतथा उनमें खिंचाव लाने और आंतरिक अंगों की मालिश करने का एक प्रभावी ढंग है। इसकी बहुमुखी गुणवत्ता और उपयोगिता ने एक स्वस्थ, ओजस्वी और सक्रिय जीवन के लिए तथा साथ- ही आध्यातिमक जागरण और चेतना केविकास के लिए एक अत्यन्त उपयोगी पद्धति के रूप में इसेस्थापित किया है। सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। सूर्य नमस्कार में बारह मंत्र उचारे जाते हैं। प्रत्येक मंत्र में सूर्य का भिन्न नाम ल

नवरात्र का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रहस्य

नवरात्र शब्द से नव अहोरात्रों (विशेष रात्रियां) का बोध होता है। इस समय शक्ति के नव रूपों की उपासना की जाती है। 'रात्रि' शब्द सिद्धि का प्रतीक है। भारत के प्राचीन ऋषियों-मुनियों ने रात्रि को दिन की अपेक्षा अधिक महत्व दिया है, इसलिए दीपावली, होलिका, शिवरात्रि और नवरात्र आदि उत्सवों को रात में ही मनाने की परंपरा है। यदि रात्रि का कोई विशेष रहस्य न होता, तो ऐसे उत्सवों को रात्रि न कह कर दिन ही कहा जाता। लेकिन नवरात्र के दिन, नवदिन नहीं कहे जाते। मनीषियों ने वर्ष में दो बार नवरात्रों का विधान बनाया है। विक्रम संवत के पहले दिन अर्थात चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (पहली तिथि) से नौ दिन अर्थात नवमी तक। और इसी प्रकार ठीक छह मास बाद आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी अर्थात विजयादशमी के एक दिन पूर्व तक। परंतु सिद्धि और साधना की दृष्टि से शारदीय नवरात्रों को ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है।इन नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति संचय करने के लिए अनेक प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग साधना आदि करते हैं। कुछ साधक इन रात्रियों में पूरी रा

श्रावण मास और रमजान

1. श्रावण मास शिव जी को समर्पित है और इस पवित्र माह में पार्वती जी भगवान शंकर जी से राम जी के जीवन चरित्र को सुनती (श्रवण) करती हैं | 2. इसी राम कथा के सुनने और सुनाने (श्रावण) की परिपाटी में इस पवित्र माह को"श्रावण"कहा गया है | और विश्व भर के हिन्दू इस माह में सत्य नारायण की कथा और राम चरित मानस का पाठ करते हैं | 3. वास्तव में गोस्वामी जी विरचित श्री राम चरित मानस में मास परायण का विश्राम भी इसलिए ही होता है | और इस दिव्य पुस्तक का नाम भी मानस इसलिए है की अपने मानस में बसे राम के चरित्र को शंकर जी माता पार्वती को सुना रहे है | उदहारण : चौपाई में बहुत से स्थानों पर पार्वती का संबोधन जैसे "उमा राम सुभाऊ जेहि जाना", "उमा जे राम चरन रत बिगत काम मद क्रोध", "उमा राम की भृकुटि विलासा", "उमा न कछु कपि कै अधिकाई" अदि अदि 4. आप सभी पाठकों से निवेदन है की सावन के इस पवित्र माह में आप भी राम जी के जीवन को पढ़ें और जानें किसी भी भाषा में | इन्टरनेट पर भी आप को राम चरित मानस मिल जाएगा | 5. आप अपने मोबाइल के एंड्राइड ऐप और एप्पल पर भी कितने एप्लीकेशन

Ramanathapuram district, 527 km south of Chennai

Ramanathapuram district, 527 km south of Chennai, which houses Rameswaram Temple and many holy shrines, is getting out of bound for outsiders. Local Jamaath Councils have issued ‘fatwas’ declaring Muslim-majority villages out of bound for people even from the district itself. Entrances to Athiyuthu, Puthuvalassai, Panaikulam, Azhagankulam and Sitharkottai sport such boards, all put up by the local Jamaath Councils. “There are boards deep inside these villages which declare outsiders are not allowed,” said B Arumugam, who acted as a guide to this correspondent. Interestingly, all these villages have a strong Muslim population. “Advertising (banners, posters and pamphlets) and honking (from vehicles) without permission is prohibited inside the Panchayath. By Order - Muslim Jamaath Thajul Islam Sangh, Pottakavayal”, is the board which welcomes the visitor to the village entrance on the Attrankarai Road, hardly 10 kilometre from Ramanathapuram town. “For the last 20

9 महीने 9 दिन गर्भ मे बच्चा क्यो रहता है क्या है बच्चे को महान बनाने का वैज्ञानिक उपाय ?

लोग ज्योतिष पर बहुत कम विश्वास करते है क्योकि ज्योतिषियों ने ही ज्योतिष का विनाश किया है  उनके अधूरे ज्ञान के कारण ऐसा हुआ है | गर्भ मे बच्चा 9 महीने और 9 दिन ही क्यो रहता है | इसका एक वैज्ञानिक आधार है हमारे ब्रह्मांड के 9 ग्रह अपनी अपनी किरणों से गर्भ मे पल रहे बच्चे को विकसित करते है | हर ग्रह अपने स्वभाव के अनुरूप बच्चे के शरीर के भागो को विकसित करता है | अगर कोई ग्रह गर्भ मे पल रहे बच्चे के समय कमजोर है तो उपाय से उसको ठीक किया जा सकता है | 1. गर्भ से 1 महीने तक शुक्र का प्रभाव रहता है अगर गर्भावस्था के समय शुक्र कमजोर है तो शुक्र को मजबूत करना चाहिए | अगर शुक्र मजबूत होगा तो बच्चा बहुत सुंदर होगा । और उस समय स्त्री को चटपटी चीजे खानी चाहिए शुक्र का दान न करे अगर दान किया तो शुक्र कमजोर हो जाएगा | कुछ अनाड़ी ज्योतिषी अधूरे ज्ञान के कारण शुक्र का दान करा देते है | दान सिर्फ उसी ग्रह का करे जो पापी और क्रूर हो और उसके कारण गर्भपात का खतरा हो | 2. दूसरे महीने मंगल का प्रभाव रहता है | मीठा खा कर मंगल को मजबूत करे तथा लाल वस्त्र ज्यादा धारण करे | 3. तीसरे महीने गुरु का प्र

भारत का गौरव - लौह स्तंभ

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जिसको देखकर दुनिया के लोगो की आँखों में आश्चर्य ऐसे आता है , अगर आपको गौरव या आश्चर्य ना हो तो समझ जाना की आप मानसिक गुलाम है - ये वह लौह स्तंभ है - जिस पर हजारों सालों से जंग नही लगी है - दुनिया के अति-विकसित देशों ने खरबों रूपयों की रीसर्च के बाद भी ऐसा लोहा नहीं बना पायें है........... लौह स्तंभ दिल्ली में क़ुतुब मीनार के निकट स्थित एक विशाल स्तम्भ है। यह अपने आप में प्राचीन भारतीय धातुकर्म की पराकाष्ठा है। यह कथित रूप से राजा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (राज 375 - 413) से निर्माण कराया गया, किंतु कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पहले निर्माण किया गया, संभवतः 912 ईपू में। स्तंभ की उँचाई लगभग सात मीटर है और पहले हिंदू व जैन मंदिर का एक हिस्सा था। तेरहवीं सदी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने मंदिर को नष्ट करके क़ुतुब मीनार की स्थापना की। लौह-स्तम्भ में लोहे की मात्रा करीब 98% है और अभी तक जंग नहीं लगा है। लगभग 16000 से अधिक वर्षों से यह खुले आसमान के नीचे सदियों से सभी मौसमों में अविचल खड़ा है। इतने वर्षों में आज तक उसमें जंग नहीं लगी, यह बात दुनिया के लिए आश्चर्य का विषय है। जहां

क्या है जनेऊ (यज्ञोपवीत) का वैज्ञानिक रहस्य ?

जनेऊ को लेकर लोगों में कई भ्रांति मौजूद है | लोग जनेऊ को धर्म से जोड़ दिए हैं जबकि सच तो कुछ और ही है| तो आइए जानें कि सच क्या है ? जनेऊ पहनने से आदमी को लकवा से सुरक्षा मिल जाती है| क्योंकि आदमी को बताया गया है कि जनेऊ धारण करने वाले को लघुशंका करते समय दाँत पर दाँत बैठा कर रहना चाहिए अन्यथा अधर्म होता है | दरअसल इसके पीछे साइंस का गहरा रह्स्य छिपा है| दाँत पर दाँत बैठा कर रहने से आदमी को लकवा नहीं मारता| आदमी को दो जनेऊ धारण कराया जाता है, एक पुरुष को बताता है कि उसे दो लोगों का भार या ज़िम्मेदारी वहन करना है, एक पत्नी पक्ष का और दूसरा अपने पक्ष का अर्थात् पति पक्ष का | अब एक एक जनेऊ में 9 - 9 धागे होते हैं| जो हमें बताते हैं कि हम पर पत्नी और पत्नी पक्ष के 9 - 9 ग्रहों का भार ये ऋण है उसे वहन करना है| अब इन 9 - 9 धांगों के अंदर से 1 - 1 धागे निकालकर देंखें तो इसमें 27 - 27 धागे होते हैं| अर्थात् हमें पत्नी और पति पक्ष के 27 - 27 नक्षत्रों का भी भार या ऋण वहन करना है| अब अगर अंक विद्या के आधार पर देंखे तो 27+9 = 36 होता है, जिसको एकल अंक बनाने पर 36 = 3+6 = 9 आता है, ज